बूंदी
से महज नौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित रामनगर कंजर बस्ती में राज्यपाल,
राष्ट्रपति बसते हैं! सुनने में भले ही अटपटा लगे, लेकिन यह हकीकत है। गांव
में कई लोगों के नाम राज्यपाल, राष्ट्रपति, कलेक्टर, हाईकोर्ट आदि रखे हुए
हैं। ग्रामीण उन्हें ऐसे ही नाम से पुकारते हैं। यहां तक कि रिकॉर्ड में
भी यही नाम दर्ज हैं।
नाम डिप्टी रख दिया
रामनगर कंजर बस्ती की एक साठ वर्षीय महिला ने बताया कि जब उसे पहला बच्चा हुआ तो पति जेल में था। पति को जेल से छुड़ाने के लिए आए दिन डिप्युटी कार्यालय के चक्कर काट रही थी। जब बेटा हुआ तो उसका उपनाम ही डिप्टी रख दिया।
राहुल और राजीव भी
गांव में युवकों का नाम राहुल गांधी और राजीव गांधी भी रखा हुआ है। एक युवती का नाम सोनिया गांधी भी है। गांव के बुजुर्गों की माने तो वे अपने बच्चों को इन लोगों की जगह देखना चाहते हैं, लेकिन अनैतिक गतिविधियों के दलदल से बाहर नहीं निकलने से सपने साकार नहीं हो सके।
इनका कहना है...
गांव में शिक्षा की कमी शुरू से ही खलती आई हैं। अब धीरे-धीरे लोग समझने लगे हैं और जागरूकता आई है। अब लोगों के साधारण नाम रखे जाने लगे हैं।
बालकदास, वार्ड पंच, रामनगर
रामनगर कंजर बस्ती के लोग आजादी से ही चाहते आए हैं कि उनके बच्चे भी पढ़े और आगे बढ़ें, लेकिन आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहने से सपने साकार नहीं हुए। सपनों को साकार होता नहीं देख बच्चों के नाम इन पदनाम से रखना शुरू कर दिया।
राजकुमार दाधीच, सचिव इंटेक, बूंदी
नाम डिप्टी रख दिया
रामनगर कंजर बस्ती की एक साठ वर्षीय महिला ने बताया कि जब उसे पहला बच्चा हुआ तो पति जेल में था। पति को जेल से छुड़ाने के लिए आए दिन डिप्युटी कार्यालय के चक्कर काट रही थी। जब बेटा हुआ तो उसका उपनाम ही डिप्टी रख दिया।
राहुल और राजीव भी
गांव में युवकों का नाम राहुल गांधी और राजीव गांधी भी रखा हुआ है। एक युवती का नाम सोनिया गांधी भी है। गांव के बुजुर्गों की माने तो वे अपने बच्चों को इन लोगों की जगह देखना चाहते हैं, लेकिन अनैतिक गतिविधियों के दलदल से बाहर नहीं निकलने से सपने साकार नहीं हो सके।
इनका कहना है...
गांव में शिक्षा की कमी शुरू से ही खलती आई हैं। अब धीरे-धीरे लोग समझने लगे हैं और जागरूकता आई है। अब लोगों के साधारण नाम रखे जाने लगे हैं।
बालकदास, वार्ड पंच, रामनगर
रामनगर कंजर बस्ती के लोग आजादी से ही चाहते आए हैं कि उनके बच्चे भी पढ़े और आगे बढ़ें, लेकिन आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहने से सपने साकार नहीं हुए। सपनों को साकार होता नहीं देख बच्चों के नाम इन पदनाम से रखना शुरू कर दिया।
राजकुमार दाधीच, सचिव इंटेक, बूंदी
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