गायब हो गया था 300 करोड़ का सोना ,अब सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब
बोडो उग्रवादी अक्सर वहां के व्यापारियों से धन की उगाही करते थे। उग्रवादियों को देने के लिए करीब ढाई साल पहले 2014 में असम टी ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मृदुल भट्टाचार्य ने 300 करोड़ रुपए जमा किए थे। ये राशि उग्रवादियों को सोने की शक्ल में दी जानी थी। उग्रवादियों की मांग के मुताबिक 300 करोड़ का सोना लिया गया। 300 करोड़ के सोने और कुछ एके-47 राइफलें असम के ही एक चाय के बागान में गाड़ दी गई ताकि समय आने पर ये बोडो उग्रवादियों को दिया जा सके। इसकी जानकारी सिर्फ मृदुल भट्टाचार्य को थी लेकिन मृदुल और उनकी पत्नी रीता को साल 2012 में ही तिनसुकिया के उनके बंगले में जला कर मार दिया गया।
मनोज कौशल ने बताया कि उन्होंने भट्टाचार्य हत्याकांड की जांच की तो उन्हें वो जगह भी मिल गई जहां बोडो उग्रवादियों ने 300 करोड़ रुपए का सोना छिपाया था। खुफिया विभाग का अधिकारी होने के नाते उन्होंने ये सूचना सेना के अधिकारियों को दी। सेना के अधिकारियों ने तय किया कि वो 1 जून 2014 को उस जगह खुदाई कर सोना निकाल लेंगे लेकिन कुछ अधिकारियों की मिलीभगत के चलते ये सूचना लीक हो गई। कुछ अज्ञात लोगों ने 30 मई की रात को ही उस जगह पर खुदाई कर 300 करोड़ का सोना और हथियार चुरा लिए।
मनोज कौशल ने सोना गायब करने में शामिल अधिकारियों की जांच कर उन पर कार्रवाई के लिए आला अधिकारियों को शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई लिहाजा उन्हें कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। मनोज कौशल ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट केन्द्र सरकार को मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने और जानकारी लीक कराने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दें। साथ ही गायब सोने का पता लगाकर उसे भारत सरकार के खजाने में जमा कराया जाए। मामले पर अगली सुनवाई 6 मई को होगी।
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