NIA DSP तंजील ने मरने से पहले बचाई थी बच्चों की जान
NIA DSP तंजील अहमद ने मरने से पहले अपने बच्चों की जान बचाई थी। जैसे ही बाइक से आए हमलावर कार के पास पहुंचे DSP ने बच्चों (शहबाज और जिमनीश) को सीट के नीचे छिप जाने को कहा। तंजील अहमद की पत्नी ने बताया कि उनकी पत्नी के अनुसार गोलियों की आवाज सुनते ही अहमद ने बच्चों से सीट के नीचे छिप जाने के लिए कहा था। बच्चों ने वैसा ही किया और वे सुरक्षित बच गये।
जिस वक्त हत्यारे गोलियों से तंजील का सीना छलनी कर रहे थे उस वक्त बच्चे कार में ही मौजूद थे। हाल ही में डीएसपी के बच्चों का बयान आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि हत्यारे मौत होने तक पापा को गोलियां मारते रहे। गौरतलब है कि शनिवार को परिवार के साथ भांजी की शादी से लौट रहे तंजील की यूपी के बिजनौर में 24 गोलियां मार कर हत्या कर दी गई।
कोड वर्ड पकड़ने में थे माहिर-
मालूम हो कि तंजील पठानकोट हमले की जांच के अलावा भी कई महत्वपूर्ण जांचों में शामिल थे। इसके अलावा वह IS का नेटवर्क बर्स्ट करने वाली टीम में थे। तंजील आतंकियों का कोड-वर्ड पकड़ने में माहिर थे। इस बीच रविवार शाम दिल्ली में उनको सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
कौन थे तंजील अहमद?
तंजील अहमद NIA के ऑपरेशन की कोर टीम का हिस्सा थे। वो सभी बड़े आतंकवादी वारदातों की जाँच में शामिल रहे हैं जिसमे पठानकोट का हमला भी शामिल है। पाकिस्तान से आई जेआईटी की टीम के साथ बातचीत के दौरान पांच दिन तक कोर टीम के साथ मौजूद थे। तंजील अहमद के पास पठानकोट के अलावा भारत में आईएस आतंकी संगठन के मॉड्यूल की जाँच, पश्चिम बंगाल के बर्धमान में हुए आतंकी हमले की जाँच और आतंकियों के लिए जाली नोटों की जाँच से जुड़े थे।
BSF से प्रमोट होकर NIA में आए थे-
बिजनौर के मूल निवासी अहमद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) से प्रतिनियुक्ति पर NIA में आये थे। वह दो जनवरी को पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले की जांच टीम में थे। पठानकोट हमले की जांच के लिए पाकिस्तानी SIT टीम से बात करने वाली NIA टीम में भी शामिल थे।
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