बुधवार, 30 मार्च 2016

JNU Row: BJP MLA Kiran Kher, Yogendra Yadav blames Kanhaiya for 84 and 2002 riots statement

84 तथा 2002 के दंगों पर बयान देकर घिरे कन्हैया, दी सफाई 

जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन प्रेजिडेंट कन्हैया कुमार 1984 के सिख दंगों तथा 2002 के गुजरात दंगों की तुलना पर दिए गए बयान से फिर चर्चा में आ गए हैं। गौरतलब है, उन्होंने जेएनयू में कहा था कि 84 के सिख दंगे भीड़ से भड़के दंगे थे, जबकि गुजरात दंगों के लिए पूरी तरह से राज्य सरकार जिम्मेदार थी।



सोशल मीडिया पर कन्हैया के इस बयान को लेकर भी गहमागहमी रही। भाजपा सांसद किरण खेर ने ट्वीट करते हुए कन्हैया पर निशाना साधते हुए कहा, "क्या आपका जमीर मर गया है?" खेर ने कहा कि इस मामले में वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा

वहीं दूसरी ओर जो लोग जेएनयू मामले के दौरान कन्हैया का साथ दे रहे थे, वे भी इस बयान के विरोध में आ गए हैं। योगेन्द्र यादव ने भी ट्वीट कर कहा कि कन्हैया! एक बार फिर सहमत नहीं होने पर खेद है। 2002 और 1984 दोनों ही राज्य से चलाई गई इमरजेंसी थी।

योगेन्द्र यादव के साथ ही आइसा की राष्ट्रीय प्रेसीडेंट सुचेता डे ने भी कन्हैया की आलोचना करते हुए कहा कि भारत शुरु हुआ लेफ्ट और प्रोग्रेसिव स्टूडेंट मूवमेंट 1984 के सिख विरोधी दंगों के लिए कांग्रेस को क्लीन चिट नहीं दे सकता है। जेएनयू छात्रसंघ की वाइस प्रेजिडेंट शहला राशिद ने भी कहा, "मैं कन्हैया की उस स्पीच के दौरान वहां नहीं थीं परन्तु अगर उनका बयान सही रिपोर्ट किया गया है तो मेरा कहना है कि दोनों ही दंगों में राज्य सरकार का रोल था।"
अपनी चौतरफा आलोचना के बाद बयान पर सफाई देते हुए कन्हैया ने कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। उन्होंने कहा, "इसमें जरा भी संदेह नहीं है कि इमरजेंसी इंडिया की डेमोक्रेसी के डार्क पीरियड में से एक था। 84 और 2002 दोनों ही तबाही और नरसंहार के लिए राज्य जिम्मेदार है।"
कन्हैया ने दी बयान पर सफाई
अपनी चौतरफा आलोचनाओं के बाद कन्हैया ने सफाई देते हुए कहा, "एक बार फिर मेरे बयान को गलत मायने के साथ पेश किया है। इसमें जरा भी शक नहीं कि इमरजेंसी भारत के लोकतंत्र के डार्क पीरियड में से एक था। 1984 और 2002 दोनों ही नरसंहार स्टेट ने लीड किए।"
उन्होंने कहा कि देशभर में छात्रों की आवाज दबाने के लिए केन्द्र सरकार स्टेट पावर के सहारे अपनी फासीवाद एजेंडा को आगे बढ़ा रही है। जो आज हम देख रहे हैं, वो भी एक तरह की अघोषित इमरजेंसी ही है।

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