जेल में मुझे जो खाना मिलता था उसे गधा भी नहीं खाताः संजय दत्त
25 फरवरी को जेल से रिहा होने के बाद संजय दत्त ने पहली बार येरवडा जेल के अंदर की उनकी जिंदगी के बारे में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा है कि उन्हें जेल में ऐसा खाना दिया जाता था, जिसे गधा भी नहीं खाता। मालूम हो कि संजय येरवडा जेल में 1993 बम धमाको के तहत आर्म्स एक्ट मामले में मिली सजा काट रहे थे। संजय शुक्रवार को एक मीडिया कॉन्क्लेव का हिस्सा बने थे जहां उन्होंने यह बातें कहीं। उन्होंने बताया कि सिक्युरिटी के चलते मुझे अकेले में रखा गया था। जेल में रोज सुबह 6 बजे उठता था और फैमिली को याद करके रोता था।
जानवर भी न खाएं ऐसा खाना-
संजय ने कहा क वह वर्कआउट के बाद नहा धोकर शिव पुराण, गणेश पुराण, महाभारत, भगवद्गीता और रामायण का पाठ करते थे। उन्होंने कहा कि वह इतनी पूजा करते थे कि वह तकरीबन पूरी तरह पंडित बन गए थे। उन्होंने कहा कि एक साल तक मैंने चने की दाल खाई। वहां, मुझे खाने में एक सब्जी राजगिरा मिलती थी, जिसका नाम मैंने पहली बार सुना था। इसे आप बकरी, बैल या गधे को भी देंगे तो वो भी नहीं खाएंगे। खाने में थोड़े से कीड़े-मकोड़े भी रहते थे जो हम लोग प्रोटीन लेने के लिए खा लेते थे।
फिट रहने को 2 घंटे दौड़ता था-
संजय ने बताया कि मैं फिट रहने के लिए 2 घंटे दौड़ता था। बाल्टियों में पानी भरकर पौधों में पानी देता था। पेट कम करने की भी एक्सरसाइज करता था। मैं जब जेल गया था तो मेरा वजन 100 किलो था और जब बाहर आया तो 40 किलो वजन कम हो चुका है। उन्हें वीआईपी ट्रीटमेंट दिए जाने की बातों को खारिज करते हुए संजय ने कहा कि ये बातें गलत हैं कि मुझे वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जाता था। बल्कि दूसरे कैदियों की तुलना में मेरे साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता था। ऐसा लगता था, जैसे मैं अंग्रेजों के दौर में आ गया हूं।
मैंने ड्रग्स की तरफ मुड़कर नहीं देखा-
ड्रग्स के बारे में उन्होंने अपना पुराना अनुभव बताया और कहा कि मैंने अपने पिता से ड्रग्स लेने के बात कही थी। इसके बाद मुझे ट्रीटमेंट के लिए यूएस भेजा गया। तब से अब तक 40 साल हो चुके हैं, मैंने कभी ड्रग्स की ओर मुड़कर नहीं देखा। मैंने अपने पेरेंट्स को बहुत दुख दिए, लेकिन मैं अच्छा इंसान बन गया। मुझे अंडरवर्ल्ड के लोगों से बात करने के लिए फोर्स किया गया। कौन नहीं चाहता कि वह अपने दम पर कुछ बने। मुझ पर भी यह प्रेशर था।
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