रावत को झटका, उत्तराखंड में कल बहुमत परीक्षण पर रोक
उत्तराखंड में सियासी भूचाल के बाद अब मामला अदालत में पहुंचने पर कानूनी दाव पेच में उलझ गया है। जानकारी ये है कि केंद्र सरकार और कांग्रेस ने हाईकोर्ट की एकल पीठ के फैसले को डबल बेंच में चुनौती दी है। डबल बेंच की ओर से दोनों की याचिका स्वीकार कर ली गई है। डबल बेंच दोनों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। उकेंद्र सरकार का कहना है कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा है। ऐसे में हरीश रावत को फ्लोर टेस्ट का मौका नहीं मिलना चाहिए।
जबकि कांग्रेस ने नौ बागी विधायकों को वोट देने के अधिकार के खिलाफ याचिका दायर की है। केंद्र की तरफ से पैरवी करने के लिए अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी और कांग्रेस की तरफ से कपिल सिब्बल पैरवी कर रहे हैं। दोनों ही याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश केएन जोजफ और बिके बिष्ट की डबल बेंच सुनवाई करेगी।
नैनीताल हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मंगलवार को अपने आदेश में हरीश रावत को 31 मार्च तक विधानसभा में बहुमंत साबित करने को कहा है। अदालत ने साथ ही ये भी कहा कि कांग्रेस के 9 बागी विधायकों को भी वोटिंग का हक होगा, लेकिन इनके मतों को अलग रखा जाएगा।
उधर, मंगलवार को हाईकोर्ट के फैसले के बाद कानून के जानकार अपने तरीके से इसके निहितार्थ निकाल रहे हैं। जानकारों का कहना है कि कोर्ट का यह फैसला बागी विधायकों और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत दोनों के लिए कुछ राहत देने वाला है। कानून के जानकारों का कहना है कि बागी विधायकों को छोड़कर यदि अन्य विधायकों की वोटिंग कराई जाती तो बाद में बागी विधायकों की वोटिंग का पेच फंसता। कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन पर टिप्पणी नहीं की और बागी विधायकों को भी मत का अधिकार दिया है।
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