कुछ लोगों को हमें देख कर बुखार आ जाता हैः PM मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को डॉक्टर बी.आर. आंबेडकर नेशनल मेमोरियल का शिलान्यास किया। इसके बाद विज्ञान भवन में बोलते हुए उन्होंने कहा कि हम लोग वो हैं, जिनको कुछ लोग बिल्कुल पसंद ही नहीं करते। हमें देखना तक नहीं चाहते। उन्हें बुखार आ जाता है और बुखार में आदमी कुछ भी बोल देता है। मन का आपा भी खो देता है।
बाबा साहेब की मार्टिन किंग लूथर से की तुलना-
बाबा साहब ने तो राष्ट्र निष्ठा की प्रेरणा दी थी लेकिन कुछ लोग सिर्फ राजनीति चाहते हैं। बाबा साहब जैसे महापुरुष के सामने हम कुछ भी नहीं हैं। कुछ लोग राजनीति करते हैं, लेकिन इससे समाज दुर्बल होता है। इससे राष्ट्र को सबल नहीं बना सकते। हम बाबा साहेब को दलितों का मसीहा बताकर अन्याय करते हैं।उन्हें विश्व मानवीयता के रूप में देखें। दुनिया मार्टिन लूथर किंग को जिस तरह देखती है, उसी तरह हमारे लिए बाबा साहेब आंबेडकर हैं।उन्हें सीमित न करें। वे हर वर्ग के शोषित, कुचले, दबे लोगों की आवाज बनते थे।
बाबा साहेब को सीमाओं में न बांधे-
मोदी ने कहा कि बाबा साहेब को सीमाओं में न बांधे। उन्होंने कहा कि 14 अप्रैल 2018 को मैं बाबा साहेब के स्मारक का शिलान्यास करूंगा। यह दिल्ली की आइकॉनिक बिल्डिंग्स में शामिल होगा। हमारे लिए यह प्रेरणास्थली रहेगा। आने वाली पीढ़ियों के लिए इससे बेहतर प्रेरणास्थली और क्या हो सकती है?
आरक्षण खत्म करने का झूठ बोला जाता है-
मोदी ने कहा कि मुझे याद है कि जब वापजेयी जी की सरकार बनी तो चारों तरफ हो-हल्ला मचा कि ये भाजपा वाले आ गए हैं, अब आपका आरक्षण खत्म होगा। एमपी, गुजरात में कई सालों से बीजेपी राज कर रही है। महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा में हैं। हमें दो तिहाई बहुमत से अवसर मिला। लेकिन कभी भी दलित, पीड़ित के आरक्षण को खरोंच नहीं आने दी। फिर भी झूठ बोला जाता है।
वल्लभ भाई पटेल और भीमराव अंबेडकर में बताई समानता-
इसलिए मानवता में जिस-जिस का विश्वास है, उनके लिए यह जानना जरूरी है कि बाबा साहब मानवीय मूल्यों के रखवाले थे। देश में एक सरदार वल्लभ भाई पटेल थे, दूसरे बाबा साहेब आंबडकर थे। देश जब आजाद था, तब यह कई राजे-रजवाड़ों में बिखरा पड़ा था। शासन तंत्र बिखरे हुए थे। अंग्रेजों का इरादा था कि देश बिखर ही जाए। देश को उन्होंने बुरी हालत में छोड़ा।
इतिहास को या तो दबोचा जाता है या डायल्यूट किया जाता है-
मोदी ने कहा कि हमारे देश में इतिहास को या तो दबोचा जाता है या डायल्यूट किया जाता है। एक बार बाबा साहेब को मंत्रिपरिषद से इस्तीफा की नौबत आ गई थी। उनके समय एक बिल पर काम चल रहा था। बिल में महिलाओं को संपत्ति-परिवार में समान हक दिलाने का जिक्र था। ये टाटा-बिड़ला की बेटियों के साथ-साथ दलित बेटियों के लिए भी था।
बाबा साहेब भारत को आगे बढ़ाना चाहते थे-
जो बातें बाबा साहब ने सोची थी, वो बाद में बदलते वक्त और सोच के साथ सरकार को माननी पड़ी। बाबा साहब को मौका नहीं मिलने का देश को घाटा हुआ। हमने बजट में देश में तालाब और वॉटर-वे के प्रावधान किए हैं। ये मूल विचार बाबा साहेब आंबेडकर थे, जिन्होंने उस वक्त भारत के वॉटर-वे की ताकत को समझा था। उसे वे आगे बढ़ाना चाहते थे। लंबे वक्त तक उन्हें सरकार में सेवा का मौका मिलता तो जो फैसला हमने अभी किया, वह 60 साल पहले हो जाता।
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