सोमवार, 28 मार्च 2016

2002 Gujarat Riots were different than 1984 anti sikh riots, says Kanhaiya Kumar

2002 के गुजरात दंगे, 1984 के सिख विरोधी दंगों से अलग थेः कन्हैया 


जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए मोदी सरकार पर हमला बोला। कन्हैया ने कहा कि गुजरात में 2002 में हुए दंगों और 1984 के सिख विरोधी दंगों में फर्क था। गुजरात हिंसा सरकारी मशीनरी की मदद से की गयी जबकि दूसरा भीड़ के उन्माद में हुआ।



छात्र नेता ने कहा कि यही आज जेएनयू में भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा, 'भीड़ द्वारा आम आदमी की हत्या किए जाने और सरकारी मशीनरी के माध्यम से नरसंहार करने में मूलभूत फर्क है। आज हमारे सामने साम्प्रदायिक फासीवाद का खतरा है, विश्वविद्यालयों पर हमले किए जा रहे हैं, क्योंकि हिटलर की भांति मोदी जी को भारत में बुद्धिजीवियों का समर्थन प्राप्त नहीं है। कोई बुद्धिजीवी मोदी सरकार का बचाव नहीं कर रहा।'

कन्हैया के साथ थे उमर खालिद और अनिर्बान
कन्हैया इतिहासकार विपिन चन्द्रा की जयंती पर आयोजित 'जश्न-ए-आजादी' कार्यक्रम के तहत 'वॉइस ऑफ आजादी' सेशन में बोल रहे थे। कन्हैया के साथ कार्यक्रम में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हुए छात्र उमर खालिद तथा अनिर्बान भट्टाचार्य ने भी वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया।

इस्लामोफोबिया को भी समझाया
कन्हैया ने अपने संभाषण में कहा कि इस्लामोफोबिया को भी सही तरीके से समझने की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने इतिहास पढ़ने की भी नसीहत दी। उन्होंने कहा, 'वर्तमान में यह इस्लामोफोबिया का दौर है। आतंकवाद और आतंकवादी शब्द को तो छोड़ ही दें। जैसे ही यह शब्द आपके जेहन में आता है, किसी मुसलमान का चेहरा आपके दिमाग में आता है। यही इस्लामोफोबिया है।'

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